बाघ की दस्तक ग्रामीणों में दहशत
शिकारियों की सक्रियता बनी विभाग की चुनौती...

सूरजपुर! गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान पार्क परिक्षेत्र रेहण्य से सटे चांदनी बिहारपुर क्षेत्र में बाघ की मौजूदगी की पुष्टि ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है। बैजनपाठ, लुल्ह और मोहरसोप के जंगलों में ताज़ा पैरों के निशान मिलने के बाद ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। पार्क परिक्षेत्र रेहण्य क्षेत्र के आसपास के पहाड़ी वनांचल गांवों के लोग अब जंगल में जाना बंद कर चुके हैं। चरवाहे मवेशियों को जंगल नहीं ले जा रहे। ग्रामीणों ने बताया कि कई बार बाघ की दहाड़ सुनाई दी है। रात ढलते ही पूरा गांव सन्नाटे में डूब जाता है। डर इतना है कि पहाड़ी वनांचल के ग्रामीण बच्चों को स्कूल भेजना भी बंद कर चुके हैं।
पुरानी घटनाएँ भी डराती हैं..
कुदरगढ़ वन परिक्षेत्र के कालामांजन क्षेत्र में बीते वर्षों (2023, 2024) में लकड़ी लेने गए तीन ग्रामीणों पर बाघ ने हमला किया था। इस घटना में एक की मौत हो गई थी, जबकि दो गंभीर रूप से घायल हुए थे। इस घटना की यादें अभी भी ताज़ा हैं और एक बार और बाघ मूवमेंट ने लोगों की नींद उड़ा दी है।
वन विभाग की पुष्टि
डिप्टी रेंजर सूर्यभान सिंह ।लुल्ह और बैजनपाठ में बाघ के पैरों के निशान मिले हैं, टीमें लगातार निगरानी कर रही हैं।रेंजर मेवालाल पटेल।बाघ पिछले पांच दिनों से बिहारपुर क्षेत्र में घूम रहा है। मोहरसोप जंगल में ताज़ा निशान मिले हैं।
रेंजर ललित सायं पैकरा शिकारियों से बचाने के लिए कई जानकारियाँ गोपनीय रखी जाती हैं।शिकारियों की चुनौती
पिछले एक साल में सूरजपुर जिले में बाघ और तेंदुए की खाल समेत एक दर्जन से अधिक वन्यजीव जब्ती की घटनाएँ सामने आ चुकी हैं। लेकिन शिकार और मौत की वास्तविकता पर विभाग अक्सर मौन साध लेता है। विशेषज्ञों का कहना है कि छत्तीसगढ़–मध्यप्रदेश सीमा पर गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और बिहारपुर वन विभाग के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती है।
बाघ की मौजूदगी जैव विविधता और वन संरक्षण के लिए शुभ संकेत है।लेकिन,ग्रामीणों की सुरक्षा और शिकारियों की बढ़ती सक्रियता बड़ी चिंता है।अब सवाल यही है कि क्या विभाग बाघ को सुरक्षित रख पाएगा और ग्रामीणों का भय दूर कर पाएगा?
