शिक्षक दम्पति की इस घोषणा से गांव के लोग हर्षित है।

शिक्षक दम्पति ने मरणोपरांत देहदान की घोषणा कर समाज को एक प्रेरणा देने का काम किया है।शिक्षक दम्पति की इस घोषणा से गांव के लोग हर्षित है।

सूरजपुर।शिक्षक दम्पति ने मरणोपरांत देहदान की घोषणा कर समाज को एक प्रेरणा देने का काम किया है।शिक्षक दम्पति की इस घोषणा से गांव के लोग हर्षित है।जिला मुख्यालय से लगे ग्राम पचिरा के सुभाष पांडेय व उनकी धर्मपत्नी ज्ञानवन्ती पांडेय ने मरणोपरांत देहदान करने का निर्णय लिया है।इसके लिए उन्होंने मेडिकल कालेज अम्बिकापुर जाकर प्रक्रिया पूरी कर घोषणा पत्र भरा है।जिस पर उन्हें मेडिकल कालेज प्रबंधन की ओर से सम्मान पत्र दिया गया है जिसमे उन्हें उनके इस निर्णय पर साधुवाद दिया है। इस सम्बंध में सेवानिवृत्त शिक्षक सुभाष पांडेय का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन के 40 अमूल्य वर्ष शिक्षा देने में लगाया है।लिहाजा उनकी सोच है कि उनकी माटी की यह काया लोगो के तब भी काम आए जब उनकी मौत हो जाये तब तो इस धरती में आने का अर्थ होगा।उन्होंने कहा कि शरीर से जब आत्मा निकल जायेगी तो वह किस काम का और जला देने का तो कोई मतलब नही है ऐसे में जब यह शरीर चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में काम आएगा।जिससे आने वाली पीढ़ी शोध कर कुछ सीखेगी और समाज को कुछ ज्ञान देगी।उन्होंने कहा कि उनका यह फैसला प्रेरणा देने के साथ ही मिसाल बने यही उनकी सोच है।.पहले सहमत नही थी पत्नी श्री पांडे के अनुसार मरणोपरांत देहदान करने का फैसला उन्हें काफी पहले लिया था,लेकिन तब पत्नी ज्ञानवन्ती इस फैसले के विरोध में थी पर न जाने अभी उसे कौन सा सुर सवार हुआ कि न केवल मेरे उस फैसले को मुकम्मल करने के लिए प्रेरित किया बल्कि खुद भी देहदान करने का निर्णय लिया जिससे पति पत्नी जाकर मेडिकल कालेज में घोषणा पत्र भरा है।उनकी दो पुत्रियां है जिन्होंने ने भी इस पुनीत कार्य पर अपनी सहमति देते हुए माता पापा के इस फैसले को गौरवान्वित करने वाला बताया है। कभी नही लिया अवकाश..शिक्षक पांडे फरवरी 2024 में शिक्षक के रूप में नोकरी के बाद सेवानिवृत्त हुए है।वे बताते है कि तकरीबन 40 वर्ष की नोकरी में कभी अर्जित अवकाश नही लिया जो करीब साढ़े पांच वर्ष का होता है।उन्होंने कहा पर इसका कोई उन्हें प्रशस्ति पत्र भी नही मिला जिसका उन्हें मलाल है।बहरहाल,उन्होंने नोकरी की शुरुआत मनेन्द्रगढ़ से करते हुए लांची में सेवानिवृत्त हुए।इस बीच उन्होंने भैयाथान, केतका,चलगली, सलका आदि ग्राम में अपनी सेवाएं दी।

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