नदी पार करती नाव डूबी ग्रामीणों की बहादुरी से दर्जनभर लोगों की जान बची

ग्रामीणों की बहादुरी से दर्जनभर लोगों की जान बची

शशि जायसवाल ओडगी
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सूरजपुर। ओडगी विकासखण्ड अंतर्गत मयूरधक्की-सौहार ग्राम पंचायत लांजीत क्षेत्र में आज दोपहर उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब महान नदी में पार कर रहे ग्रामीणों की दो नाव अचानक नदी में पलट गई। नावों में एक दर्जन से अधिक लोग सवार थे, जिनमें महिलाएं, बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी शामिल थे। हादसे के बाद कुछ देर के लिए नदी किनारे दहशत का माहौल बन गया, लेकिन गांववालों की सूझबूझ और

बहादुरी से एक बड़ी त्रासदी टल गई।

ग्रामीणों ने बताया कि नावें नदी के तेज बहाव में संतुलन खो बैठीं, जिससे दोनों नाव एक साथ पलट गईं। सभी लोग पानी में गिर गए, लेकिन गांव के अन्य लोगों ने तत्परता दिखाते हुए रस्सी और लकड़ी के सहारे एक-एक कर सभी को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। इस दौरान कुछ लोग हल्के घायल हुए, लेकिन किसी की भी जान नहीं गई।

अब भी पुल का इंतजार

स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि आज़ादी के बाद से अब तक महान नदी पर पुल का निर्माण नहीं हुआ है। नदी पार करना ही यहां के लोगों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।ग्राम लांजीत, मयूरधक्की, सौहार और आसपास के गांवों के लोग हर रोज जान जोखिम में डालकर नाव के सहारे नदी पार करते हैं ताकि वे अपने काम, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र या बाजार तक पहुंच सकें।महिलाओं और बच्चों के लिए यह यात्रा और भी खतरनाक साबित होती है, खासकर बरसात के मौसम में जब नदी का जलस्तर बढ़ जाता है।

ग्रामीणों की पीड़ा पुल नहीं, तो कब तक जान जोखिम में डालें?

ग्रामवासी भोलाराम, गजेंद्र, पार्वती और रामेश्वरी बाई ने बताया कि कई बार उन्होंने प्रशासन को पुल निर्माण की मांग पत्र सौंपा, लेकिन अब तक किसी ने सुध नहीं ली।हम हर दिन डर के साथ नदी पार करते हैं। आज जो हुआ वह किसी बड़ी दुर्घटना का संकेत है। अगर तुरंत व्यवस्था नहीं हुई तो अगली बार बचना मुश्किल होगा,” ग्रामीणों ने कहा।

स्थानीय प्रशासन मौन

हादसे की सूचना स्थानीय स्तर पर प्रशासन को दी गई, लेकिन समाचार लिखे जाने तक कोई अधिकारी घटनास्थल पर नहीं पहुंचा था।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि प्रशासन केवल कागजों में विकास दिखा रहा है, लेकिन ज़मीनी हकीकत पूरी तरह अलग है।

ग्रामीणों की मांग

लांजीत,मयूरधक्की और सौहार के निवासियों ने संयुक्त रूप से कहा कि यदि जल्द से जल्द महान नदी पर पुल का निर्माण नहीं कराया गया, तो वे आंदोलन करने पर मजबूर होंगे।गांव के युवाओं ने चेतावनी दी कि अगली बार यदि किसी की जान गई तो इसकी पूरी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।

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