पुलिस अधीक्षक नें नवीन कानूनों की जानकारी से मीडिया को कराया अवगत

नए कानून की जानकारी सभी तक पहुंचाने में मीडिया की सहभागिता जरूरी: कलेक्टर

  • नए कानूनों में ऐसे बहुत से प्रावधान हैं,जो पुलिस को बनाते है पहले से ज्यादा ताकतवर पुलिस अधीक्षक
  • सूरजपुर। देशभर में 3 नए आपराधिक कानून 1 जुलाई से अमल में आ चुके है। इन कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन, विभिन्न पहलुओं से मीडिया को अवगत कराने वं जन-जन तक नए कानूनों की जानकारी पहुंचाने के लिए व्यापक रूप से प्रचार-प्रसार को लेकर कलेक्टर रोहित व्यास वं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एम.आर. आहिरे के द्वारा गुरूवार, को पत्रकारों को नए कानून के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए इस विषय पर चर्चा की गई। इस दौरान कलेक्टर रोहित व्यास ने कहा कि 1 जुलाई से नवीन तीनों कानून के तहत कार्य किए जा रहे है, पुराने कानून की जगह अब नए कानून लागू हो चुका है उसकी जानकारी समस्त लोगों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी हम सभी की है इसमें प्रमुख रूप से मीडिया की अहम भूमिका जुड़ी हुई है, आज अधिक संख्या में लोग सोशल मीडिया, समाचार पत्रों को पढ़कर जागरूक हो रहे है इसकी गति को और तेज करने की आवश्यकता है। उन्होंने सभी को इस दिशा में सहयोग करने की अपील की। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एम.आर.आहिरे ने नए कानून के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि नए कानूनों में ऐसे बहुत से प्रावधान हैं, जो पुलिस को पहले से ज्यादा ताकतवर बनाते हैं। पुलिस अब आरोपी को 90 दिन तक हिरासत में रख सकती है, पहले ये अवधि 15 दिन थी। पुलिस का प्रमुख काम अपराध होने से पहले ही रोकना और कानून व्यवस्था बनाए रखना है। बीएनएसएस के चैप्टर 13 के सेक्शन 173 में प्रावधान है कि पुलिस अधिकारी को किसी संगीन मामले की शिकायत मिलने पर प्रथम सूचना पत्र लिखने से पहले अपने सीनियर ऑफिसर से अनुमति लेकर 14 दिन की प्राथमिक जांच करनी होगी।’ यानी पुलिस अधिकारी को 14 दिन का समय मिलेगा, जिसमें वो तय करेगा कि मामले में प्रथम दृष्टया केस बनता है या नहीं। प्रत्येक दिवस पुलिस के द्वारा गिरफ्तार किए गए लोगों की जानकारी सभी थाना चौकी व पुलिस कंट्रोल रूम के नोटिस बोर्ड में चश्या किए जाने के बारे में बताया। उन्होंने नवीन तीनों कानून के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराते हुए कहा कि समाज के सभी वर्गों तक नए कानून की जानकारी पहुंचाने में सहयोग करें। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संतोष महतो ने बताया कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत जांच के दौरान पुलिस किसी भी आरोपी को उसके डिजिटल डिवाइस दिखाने और उन्हें सौंपने के लिए बाध्य कर सकती है। नए कानूनों में इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल डिवाइस यानी मोबाइल, स्मार्टफोन, लैपटॉप आदि को सबूत के तौर पर परिभाषित किया गया है। बीएनएसएस के सेक्शन 94 के मुताबिक, किसी मामले की जांच, पूछताछ या ट्रायल के दौरान अदालत या थाना प्रभारी किसी व्यक्ति से डॉक्यूमेंट्स, कम्युनिकेशन डिवाइस, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस या डिजिटल डिवाइस पेश करने के लिए समन या आदेश जारी कर सकता है। एसडीओपी नंदिनी ठाकुर ने नए कानून के तहत जांच करने की शक्ति के बारे में बताया और कहा कि पुलिस को किसी मामले की जांच करने का अधिकार प्राप्त है। पुलिस मामले से जुड़े सबूतों, बयानों और वस्तुओं को भी इकट्ठा कर सकती है। साथ ही न्यायालय पुलिस को मामले की जांच करने के लिए आदेशित कर सकती हैं। बीएनएसएस में इसका जिक्र चैप्टर 13 के सेक्शन 173 से लेकर 196 तक है। बीएनएसएस के सेक्शन 43(3) के तहत पुलिस अधिकारी अपराध की प्रकृक्ति और गंभीरता को ध्यान में रखते हुए किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करते समय या ऐसे व्यक्ति को अदालत में पेश करते समय हथकड़ी का इस्तेमाल कर सकता है। इस दौरान सीएसपी एस.एस. पैंकरा, एसडीओपी प्रेमनगर नरेन्द्र सिंह पुजारी, एसडीओपी प्रतापपुर अरूण नेताम, डीएसपी अजाक पी.डी. कुजूर, डीएसपी मुख्यालय महालक्ष्मी कुलदीप सहित जिले के पत्रकारगण मौजूद रहे।
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