एक तरफ आजादी का जश्न वही दूसरी ओर शहिद का दर्जा दिलाने वर्षों से दर-दर भटक रहे शहिद के परिजन

द फाँलो न्यूज
सुरजपुर।आज पूरा देश आजादी के जश्न में डूबा हुआ है और सभी लोग शहीदों को नमन कर रहे हैं, वही सूरजपुर का एक परिवार पिछले कई दशकों से आजादी की लड़ाई में शहीद हुए अपने बड़े पिताजी को शहीद का दर्जा दिलाने के लिए लगा रहा है दफ्तरों का चक्कर,वहीं राज्य सरकार के अधिकारी जांच के बाद आगे की कारवाई की बात कर रहे हैं,सूरजपुर के भैयाथान रोड के निवासी कमलेश कुमार लगभग पिछले 45 सालों से अपने बड़े पिता बाबू परमानंद को शहीद का दर्जा दिलाने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार से फरियाद कर रहे हैं,कमलेश कुमार के अनुसार उनके बड़े पिता बाबू परमानंद सन 1939 मैं आजादी की लड़ाई लड़ते हुए अंग्रेजों के हाथों शहीद हो गए थे,, बाबू परमानंद का जन्म 1923 में हुआ था, उनके पिता शिक्षक थे, बचपन से ही उनके मन देशभक्ति की भावना भरी हुई थी, 16 साल की उम्र में उन्होंने हरिद्वार में पढ़ाई करने के बहाने से घर छोड़ा और आजादी के आंदोलन में शामिल हो गए, इसी दौरान 1939 में हैदराबाद के गुलबर्गा में उनकी गिरफ्तारी हुई और अंग्रेजों के द्वारा बेरहमी से पिटाई किए जाने की वजह से उनकी मौत हो गई थी,इसकी जानकारी बाबू परमानंद के परिजनों को आकाशवाणी के द्वारा चिट्ठी से प्राप्त हुई,लेकिन राज्य और केंद्र सरकार के द्वारा उनको लेकर किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं दीगई,आखिरकार 1980 में बाबू परमानंद के कमलेश कुमार ने कलेक्टर से लेकर प्रधानमंत्री तक को चिट्ठी लिखी और अपने बड़े पिता को शहीद का दर्जा देने की मांग की,उनका आरोप है कि ना तो केंद्र और ना ही राज्य सरकार ने इस ओर ध्यान दिया,आखिरकार छत्तीसगढ़ राज्य अलग होने के बाद उन्होंने फिर कलेक्टर, गृह मंत्री और मुख्यमंत्री के समक्ष अपनी मांग रखी,जिसके बाद राज्य सरकार के द्वारा पूरे मामले की जानकारी मांगी गई,आखिरकार कलेक्टर के द्वारा पूरे मामले की जांच कराई जा रही है,जिसके आधार पर बाबू परमानंद को शाहिद का दर्जा मिल सकेगा, वहीं जिला प्रशासन के अधिकारी यह मान रहे हैं कि परिजनों के द्वारा उनके पास आवेदन दिया गया था,जिसके आधार पर कलेक्टर ने पूरे मामले की जांच कराई है,जांच भी पूरी कर ली गई है, जांच रिपोर्ट में हैदराबाद के जेल से रिकॉर्ड से लेकर अन्य जानकारियां उपलब्ध कराई गई हैं,जिसके बाद पूरे रिपोर्ट को राज्य सरकार के पास भेज दिया जाएगा, बाबू परमानंद के परिजनों के पास कई ऐसे तथ्य मौजूद हैं जिससे यह साफ हो जाता है कि देश की सेवा में बाबू परमानंद ने अपनी जान की आहुति दे दी,बावजूद इसके अभी भी संबंधित विभाग जांच की बात कर रहा है,, हालांकि अब तो जांच भी पूरी कर ली गई है।
अब केंद्र राज्य सरकार के पाले में है अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या बाबू परमानंद को शहीद का दर्जा मिलता है या उनके परिजन कमलेश कुमार की लड़ाई आगे भी जारी रहेगी।