हाइड्रो पॉवर प्लांट की लापरवाही…

अब किसानों की कमर तोड़ रही...

सूरजपुर जिले के भैयाथान विकासखंड अंतर्गत ग्राम पासल में स्थित छत्तीसगढ़ हाइड्रो पॉवर प्लांट की लापरवाही अब किसानों की कमर तोड़ रही है। विद्युत उत्पादन के लिए नदी का जल रोकने की कीमत दर्जनों किसानों को अपनी फसल और भविष्य से चुकानी पड़ रही है। वर्तमान में पासल और भैयाथान क्षेत्र की करीब 15 से 20 एकड़ उपजाऊ भूमि जलमग्न हो चुकी है, जिससे किसान बेहद परेशान और आक्रोशित हैं। धान की रोपाई की तैयार ज़मीन में अब पानी का सैलाब है। कई किसानों ने धान का थरहा डाल रखा था, तो कई खेतों में बोआई भी हो चुकी थी, लेकिन पानी भर जाने से सारी मेहनत पर पानी फिर गया। पासल निवासी एक किसान विजय श्रीवास्तव ने कहा कि “मेरे 2 से 3 एकड़ खेत में पानी भर गया है। अब रोपाई नहीं हो पाएगी। हमारी आजीविका का एकमात्र साधन खेती है, ऐसे में यह नुकसान बर्दाश्त से बाहर है।”नदी में पानी रोका, नया नाला बना- फिर भी राहत नहीं।हाइड्रो पॉवर प्लांट द्वारा नदी किनारे एक नया नाला तो बना दिया गया है ताकि अतिरिक्त पानी का निकास हो सके, लेकिन वह भी पूरी तरह विफल साबित हो रहा है। तेज़ बारिश के पानी का बहाव नाले में सुचारु नहीं हो पा रहा है, जिससे खेतों में पानी भरने की समस्या और गंभीर हो गई है।मुख्य मार्ग डूबा, आवाजाही ठप। केवल खेत ही नहीं, बल्कि भैयाथान से पासल जाने वाला मुख्य मार्ग भी पूरी तरह जलमग्न हो चुका है। ग्रामीण अब वैकल्पिक रास्तों से आने-जाने को मजबूर हैं। इस मार्ग पर आवागमन की स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि अब जान जोखिम में डालकर यात्रा करनी पड़ रही है।दर्जनों किसानों की फसल तबाह प्रभावित किसानों में यसवंत श्रीवास्तव, जयंत श्रीवास्तव, सुधीर श्रीवास्तव, विजय श्रीवास्तव, नीलेश प्रताप सिंह, सुरेश सिंह, सुनील सिंह, हीरालाल सिंह, शिवनारायण तिवारी, रामकिशुन कुशवाहा, मिथलेश कुशवाहा, विनोद देवांगन, ओमप्रकाश गुप्ता आदि शामिल हैं- जिनकी खेतों में पानी भर चुका है और फसल पूरी तरह से नष्ट हो गई है। जिम्मेदार कौन? मुआवज़ा कब…? हाइड्रो पॉवर प्लांट के कार्मिक प्रबंधक संतोष सिंह ने दावा किया है कि किसानों के नुकसान का आंकलन राजस्व विभाग द्वारा करवाया जाएगा और पात्र किसानों को मुआवजा दिया जाएगा। लेकिन अब सवाल यह है आखिर कब…? प्रशासन की प्रतिक्रिया एसडीएम सागर सिंह ने बताया कि “पासल मार्ग पर जलभराव को देखते हुए प्लांट प्रबंधन को निर्देशित किया गया है कि तत्काल सूचना पटल लगाएं और नागरिकों को वैकल्पिक मार्ग से आने-जाने की व्यवस्था सुनिश्चित करें। सवालों के घेरे में प्रबंधन और प्रशासन..क्या जल संकट की यह पुनरावृत्ति हर वर्ष किसानों की तकदीर डुबोती रहेगी..?बिजली उत्पादन जरूरी है, लेकिन क्या किसानों की जिंदगी की कीमत पर..?आखिर कब तक किसान इस प्रकार प्राकृतिक नहीं, बल्कि ‘नियोजन की भूल’ से मार खाता रहेगा?

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