भक्तिमय माहौल में धूमधाम से की गई माँ काली की पूजा अर्चना

सूरजपुर
महाआरती,भगवती जागरण व विशाल भंडारे का हुआ आयोजन
सिंदूरदान के साथ माँ काली को नम आंखों से दी गई विदाई
आकर्षक झांकी, परपरागत शैला नृत्य व ढोल नगाड़े के साथ निकली भव्य विसर्जन यात्रा
रेणुका के तट पर किया गया प्रतिमा का विसर्जन
सूरजपुर। परंपरा के अनुसार प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी सार्वजनिक श्री श्री माँ काली पूजा समिति के द्वारा भक्तिमय वातावरण में धूम धाम से कालरात्रि माँ काली की विधिविधान से पूजा अर्चना के साथ भव्य भंडारा, भगवती जागरण का आयोजन किया गया। मंगलवार को सिंदूर दान के साथ नम आंखों से माँ काली को विदाई दी गई। शहर में प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी १२ नवम्बर को बांग्ला परंपरा के अनुसार दोपहर में कलश स्थापना शिवतांडव, चंडीपाठ के साथ रात्रि में कालरात्रि माँ काली की पूजा प्रारम्भ हुई सोमवार की सुबह ५ बजे पूजा का समापन किया गया। सोमवार की शाम माँ काली की पूजा व महाआरती और भगवती जागरण व विशाल भंडार का आयोजन हुआ। देर रात तक चले उक्त धर्मिक आयोजन में शहर सहितआसपास क्षेत्र के बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने मां काली के
दरबार मे हाजिरी लगाई और देर रात तक चले भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया। बाहर से आये भजन गायको द्वारा जस गीत व मातारानी के भजनों की मनमोहक प्रस्तुति दी। जिसमे बड़ी संख्या में मौजूद श्रद्धालु झूमते रहे। मंगलवार को सिंदूर दान की रस्म के साथ माँ काली को नम आंखों से विदाई दी गई। सिंदूर दान की परम्परा के निर्वाहन हेतु बड़ी संख्या में महिलाएं पंडाल परिसर पहुंची थी। ततपश्चात मध्यप्रदेश से आये कलाकारों के द्वारा माँ काली व भगवान भोलेनाथ की आकर्षक झांकी, परपरागत शैला नृत्य, ढोल नगाड़े व रंगबिरंगे आतिशबाजी के साथ नाचते गाते मां काली की भव्य विसर्जन यात्रा निकाली गई। जो नगर के विभिन्न मुख्यमार्गों से होते हुए रेणुका के तट स्थित छठ घाट पहुंची। जहां मां काली की प्रतिमा का विसर्जन किया गया। विसर्जन यात्रा में बड़ी संख्या मे महिलाएं
भी शामिल रही। ज्ञात हो कि शहर में विगत १५ वर्षों से सार्वजिक श्री श्री काली पूजा समिति के द्वारा विशाल पंडाल का निर्माण करा बांग्ला परंपरा के अनुसार माँ काली की पूजा अर्चना की जाती है। नगर के भैयाथान रोड मंदिर पारा स्थित दुर्गा बाड़ी में आयोजित उक्त भव्य आयोजन में शहर सहित बिश्रामपुर, भटगांव, भैयाथान, रामानुजनगर व आसपास क्षेत्र के बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते है। १५ वर्ष पूर्व प्रारम्भ किया गया आयोजन आज शहर की पहचान बन गया है।
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