वन विभाग मतलब खाता न बही हम जो कहे कहे वही वही सही

कार्यालय वन मण्डलाधिकारी एवं प्रबंध संचालक वन मण्डल .

सूरजपुर खाता न बही जो हम कहे वही सही………यह भले कहावत हो पर यहां वन मण्डल दफ्तर में यही चल रहा है। यहां वनमण्डलाधिकारी के पद पर जिस अधिकारी की पदस्थापना है उन्हें पदस्थ हुए करीब करीब एक वर्ष होने को है पर इनके | कार्यकाल के खाता बही संधारण नही है । यह हम नही खुद वन रखा मण्डलाधिकारी कह रहे है ।सूचना के अधिकार नियम के तहत वनमण्डल कार्यालय से कार्य होगा…..!

काटे गए चेक व बैंक जमा राशि की स्लिप मांगी गई थी इस चाही गई जानकारी का जो जबाव दिया गया है वह बेहद चौंकाने वाला है। दी गई जानकारी में कहा गया है कि इस बाबत अभिलेख कार्यालय में संधारित नही है। तो ये कैसा सरकारी दफ्तर है जहाँ रोज चेक कट रहे होंगे और बैंक में जमा भी हो रहे होंगे पर इन सरकारी कामो का रिकॉर्ड नही जा जबकि, छोटा से छोटा व्यापारी या दुकान दार अपने कार्यों के रोज का रिकार्ड तो संधारित करता ही

अब तक नहीं पकडे गए आरोपी

बिहारपुर जैसे दुरस्थ अंचल में न केवल जंगलो की कटाई चल रही है बल्कि वन्य जीवों की हत्या व तस्करी धड़ल्ले से जारी है । इसका उदाहरण अक्टूबर में उस समय सामने आया था जब इस क्षेत्र से बाघ व तेंदुए की खाल के साथ कुछ लोग पकड़े गए थे। जबलपुर की टीम ने इन तस्करो को पकड़ कर जिले के विभाग को आइना दिखाने का काम किया था। मामले में मुख्य आरोपी पकड़ से बाहर था जो आज तक नहीं पकड़ा जा सका है।विभाग कितना सक्रिय है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है। मुख्य आरोपी के नही पकड़े जाने से आज तक इस बात का खुलासा नही हो सका है कि उक्त वन्य जीव कहां से कैसे शिकार किये गए थे। और कितने वन्य जीवों का शिकार किया गया है कई ऐसे सवाल अनुत्तरित है। अफसर शुरूआती दिनों में आरोपी के पकड़े जाने टीम के सक्रिय होने आरोपी की सम्पति कुर्क करने जैसे दावे करते रहे पर जैसे जैसे दिन बिता सब फाइलों में कैद हो गया या फिर कुछ और मामला है ?

है खास कर लेने देने का नही तो वह आईटी की रडार में चढ़ जाएगा लेकिन यहां तो सरकारी दफ्तर में सब जुबानी जमा खर्च ? यह कैसा सरकारी दफ्तर है जहाँ सब नियमानुसार व पारदर्शी होना चाहिए.. तो क्या जानकारी न देकर कुछ छिपाने की कोशिश की जा रही है…

वन विभाग में जंगलराज की स्थिति है सब नियम कानून ताक पर रख कर काम हो रहे है। बताया तो यहां तक जाता है कि इस कार्यकाल की जांच करा ली जाए तो फिर दूध का दूध व पानी का पानी हो जाये । यही नही इसके पहले जहाँ पदस्थ थे वहां भी कार्यशैली को लेकर सुर्खियां दावा तो यह है कि बटोर चुके है।

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