मोबाइल की लत बच्चो की आंखों में तेजी से प्रभावित : डॉ त्रिपाठी

बाल्यावस्था से ही कई गम्भीर बीमारियों से ग्रसित हो रहे बच्चे, कम उम्र में बन रहा हार्ट अटैक का कारण

सूरजपुर। आधुनिकता के इस युग में छोटे बच्चों के हाथ मे मोबाईल ने जहां बच्चो का बचपन छीन लिया है। तो वहीं इसकी लत लगने से बच्चे परंपरागत खेल कूद से दूर हो गए है। जिससे उनके अंदर शारीरिक श्रम करने की क्षमता खत्म हो रही है और खेलकूद से दूर रहने के कारण शारीर पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है मोबाईल की लत बच्चो की आंखों को तेजी से प्रभावित कर रहा है। तो वहीं खान पान पर भी इसका सीधा असर पड़ रहा है जिसके कारण बच्चो का बचपन में जो शारीरिक विकास होना चाहिए वह नहीं हो पा रहा है और बच्चो के शरीर को इतना कमजोर कर दे रहा है कि वे बाल्यावस्था से ही कई गम्भीर बीमारियों से ग्रसित हो रहे है, इसका असर उनके जीवन को रोगग्रस्त बना दे रहा है और यह कम उम्र हार्ट अटैक का कारण भी बन रहा है। मोबाईल का लगातार इस्तेमाल बच्चो को गार्जियन के वात्सल्य से दूर कर रहा है जिससे बच्चे चिड़चिड़ापन के शिकार हो रहे है जो पारिवारिक कलह का भी कारण बन रहा है। बड़ी तेजी से नवनिहाल नेत्र रोग से पीड़ित हो रहे है। मोबाईल से बच्चो में बढ़‌ती आंखों की बीमारी व उनके शरीर पर पड़ रहे दुष्प्रभाव से चिकित्सक भी चिंतित है। शहर के प्रसिद्ध नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. आनन्द मोहन त्रिपाठी ने बच्चो में मोबाइल की लत से बढ़ रही आंखों की बीमारी पर चिंता व्यक्त करतेहुए इसके उपयोग से होने वाले दुष्प्रभाव से अवगत कराया और लोगो से सावधानी बरतने को कहा है। छत्तीसगढ़ फ्रंट लाइन से बात करते हुए नेत्र सर्जन डॉ आनंद मोहन त्रिपाठी ने बताया कि मोबाईल, स्मार्ट फोन के उपयोग से बच्चों में तेजी से साइड इफेक्ट हो रहा है जो उनके भविष्य के लिए काफीनुकसानदायक है। स्मार्ट फोन की लत से धीरे धीरे बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग की आदत लगा सकती है जिससे बच्चों में सट्टा इत्यादि की समझ फिर क्रेडिट कार्ड, एटीएम के माध्यम से गेम खेलना शुरू होता है। स्मार्ट फोन लगातार देखने से बच्चे एक सम्मोहन की स्थिति में चले जाते है। जिसमें दूसरों के आवाज देने या पुकारने का जवाब न देना और फोन में वीडियो के दृश्य देखकर उसका निर्देश पालन करना प्रायः कार्टून वीडियो में सुसाइड के निर्देश दिए जाते है जिसको सम्मोहन की स्थिति में बच्चे पालन कर जाते हैं जो को जोखिम भरा रहता है। वहीं इसकी लत बच्चों को गार्जियन के वात्सल्य से दूर कर रही है, जिससे बच्चों में चिड़चिड़ापन,अनिद्रा, डिप्रेशन इत्यादि मानसिक स्थिति देखने को मिलती है। ऐसे में बच्चे को न समझा पाने का दोष, पति पत्नी एक दूसरे पर डाल देते हैं और खुद कुंठित जीवन शैली, मनमुटाव इत्यादि से ग्रसित रहते हैं। डॉ त्रिपाठी ने आगे बताया कि डिजिटल आई स्ट्रेन के कारण आंखों और सिर में दर्द बना रहता है। लगातार मोबाइल, कंप्यूटर और प्रोजेक्टर पर पढ़ाई करने के कारण आंख की मांसपेशियों में जकड़न और आंख की ऊपरी सतह में सूखापन आने की वजह से दर्द लगातार बना रहता है।गर्दन और कंधे भी प्रभावित होते है। लगातार स्मार्ट फोन देखने के फलस्वरूप एक विशेष पोस्चर में बने रहने के कारण गर्दन वा कंधे की मांसपेशियों में खिंचाव वा जकड़न से उत्पन्न असामान्य दर्द होता है जो रातों की नींद बाधित करता है। निकट दृष्टि दोष के कारण छोटे बच्चों विशेषकर प्राइमरी स्कूल के बच्चे जिनमें आँखें निकट टारगेट को लगातार फोकस करने के कारण मयोपिया रोग उत्पन्न होता है, जिसमें दूर के वस्तुएं धुंधली दिखाई देने लगती है, बच्चों को स्कूल में ब्लैकबोर्ड पर लिखे अक्षर देखने में परेशानी होती है जिसके कारण कम उम्र में बच्चो को मोटा चश्मा लग जाता है। उन्होंने बताया कि स्मार्ड फोन से ब्लू लाईट निकलती है जो आंखों की रेटीना के सेल्स को काफी नुकसान पहुंचाती है जिसके कारण नजर स्थाई रूप से धुंधली हो सकती है औररतौंधी इत्यादि, चीजें टेढ़ी मेढ़ी, डबल इमेज दिखने जैसी परेशानी हो सकती है।हार्ट व डायबिटीज की समस्या शारीरिक श्रम नहीं होने के कारण मोबाइल प्रेमियों की शारीरिक गतिविधि कम होने लगती है। जिससे शरीर में अनचाही चर्बी रक्त धमनियों में जम सकती है जिसके कारण हार्ट की समस्या, हाई ब्लडप्रेशर, डाइबिटीज की बीमारी का खतरा काफी बढ़ जाता है।सुरक्षित रहे आंखे करें यह उपायआंखों को सुरक्षित रखने के लिए विटामिन ए युक्त फल एवं सब्जियों का सेवन अत्यंत आवश्यक है। इसके साथ ही बच्चों को स्मार्ट फोन मुक्त वातावरण देते हुए शारीरिक श्रम वाले खेलो के प्रति प्रोत्साहित करें। कामकाजी बड़े लोगों को 20-20-20 फॉर्मूला अपनाना चाहिए। 20 मिनट स्क्रीन टाइम के बाद 20 सेकेंड 20 फिट दूर टकटकी लगाकर देखना एवं 20 सेकेंड के लिए आंखों को बंद रखना चाहिए और ब्लू फिल्टर चश्मा का प्रयोग करना चाहिए।ज्यादा दिक्कत पर तत्काल नजदीक में उपलब्ध नेत्र चिकित्सक से आंखों की जांच करानी चाहिए। गर्दन एवं कंधे में होने वाले दर्द के व्यायाम करना, प्रतिदिन करीब 20 मिनट दौड़ या तेज चलना लाभदायक होगा। डायबिटीज, ब्लडप्रेशर, कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल रखने के साथ चश्मा का उपयोग करने वालो को नियमित चश्मा का उपयोग करना चाहिए।

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