कलेक्टर साहब मातहतों की कारस्तानी कहीं तब्दील ना हो रही सरकार की छवि धूमिल करने वाली….?

भू माफिया बिचौलियों व राजस्व कर्मियों की जुगलबंदी बन रही कानून व्यवस्था बिगाड़ने में अहम कारण बतौर, दफ्तरों, राजस्व न्यायालयों का चक्कर काटते लोगों की परेशानी का जिम्मेदार कौन…?

सूरजपुर 27 मई (विक्की तिवारी) जमीन कहें भूमि से जुड़े मुद्दे चुनावी फिजा में जनहितकारी सरकार की छवि को धूमिल करने के साथ ही बैठे बैठाएं मुद्दों कि तलाश में विपक्षी दल भाजपा को एक बड़ा मुद्दा बतौर सूरजपुर जिले सहित सरगुजा संभाग के अमूमन सभी जिलों में जिस रफ्तार से मामले सामने आने लगे हैं, इससे विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी कांग्रेस व सरकार के लिए जनादेश प्रभावित करने वाला सबब बनकर दस्तक देने का अंदेशा जताया जा रहा है। बहरहाल सूरजपुर जिले में प्रशासनिक फेरबदल उपरांत कलेक्टर सूरजपुर बतौर पदभार संभालने वाले श्री संजय अग्रवाल के समक्ष आपने मातहतों कि कारस्तानी से उपजी चुनौतियां प्रशासनिक कामकाज व चुनावी सत्र में सरकार की तमाम जन कल्याण से जुड़े योजनाओं पर फोकस रखने कि प्राथमिकता पर राजस्व कर्मियों कि कारस्तानी से प्रदेश स्तर पर सुर्खियां बटोरता ग्राम तिलसिवा का अवैध अतिक्रमण से जुड़ा मामला हो या दर्जनों शिकायत में लंबित पड़े मामले जिसमें भूमि स्वामी के बगैर जानकारी तों कही धोखाधड़ी पूर्वक भूमाफियाओं व राजस्व कर्मियों कि गठजोड़ से न्याय की आश लगाए डर व दहशत के आलम में रहने को मजबूर हैं। इसका उदाहरण प्रतापपुर तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत दूरती के दिनेश गुप्ता, रमाशंकर गुप्ता व शंभू गुप्ता की भूमि को शातिराना अंदाज में उनके मकान व बाड़ी अम्बिकापुर शहर के तथाकथित व्यापारी खुद को बताने वाले दों लोगों द्वारा जमीन रजिस्ट्री करवाने के बाद अब लगातार जमीन पर कब्जा पाने के लिए अलग अलग हथकंडों का उपयोग कर प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से दवाब बनानें से डर व दहशत के आलम में हर पल आशियाना व आजीविका वर्धन में उपयोग होने वाली बाड़ी की जमीन खोने की आशंका के बीच परिवार रहने को मजबूर हैं ‌‌।

पुलिस थाने व कलेक्टर कार्यालय में जांच की फरियाद,भौतिक धरातल पर अबतक जांच हवा हवाई

दस्तावेजों में छेड़खानी कर जमीन रजिस्ट्री की शिकायत को लेकर मामले में पीड़ित पक्ष लगातार प्रतापपुर पुलिस थाने , एसडीएम व तहसीलदार प्रतापपुर दफ्तरों का लगातार दर्ज कराएं शिकायत पर न्याय की आश लगाए चक्कर काटने के बाद भी मामले में राजनीतिक रसूख की वजह से खामोशी के आलम में जांच अबतक शुरूआती दौर में दफ्तर से मौके पर पड़ताल के लिए नहीं होने से मामले पर निष्पक्ष जांच की आश कैसे पूरी होगी यह खुद ही अबूझ पहेली बतौर जस का तस हाल में पड़ा हुआ है।

पटवारी से लेकर तहसील की भूमिका संदेहास्पद,जांच कैसे होगी निष्पक्ष..

दिलचस्प पहलू यह भी है कि जमीन की ख़रीद बिक्री से जुड़ी प्रक्रिया में पटवारी से लेकर तहसील कार्यालय की भूमिका अहम होती है,जब भूमि बिक्री प्रक्रिया शुरू हुई तो मौके की जांच सहित अन्य पहलुओं पर अबतक पीड़ितों की मानें तो प्रक्रिया गोपनीय तरीके से पूरी कर भूमि की रजिस्ट्री ही नियम विरुद्ध तरीके से हुई है।अब मामले पर जांच शुरू होने की शिकायत विभाग को मिली है,वह भी हालत ऐसे कि जिन कर्मियों के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संलिप्तता कि वजह से मामला बनकर उभरा वह भी अबतक जांच नहीं होने से संदिग्ध हाल में लाजमी है, इसके साथ ही जिनका दायित्व राजस्व से जुड़े मसलों पर विवाद या क्षेत्र में कानून व्यवस्था को सुचारू रखने से जुड़ी है लेकिन दायित्वों के निर्वहन में बेपरवाही पूर्वक त्रूटी से सुनियोजित कारस्तानी बनकर तब्दील हुई है।ऐसे कर्मियों की जब खुद ही मौजूदगी रहेगी तो निष्पक्ष तरीके से जांच कितनी पार्दर्शिता पूर्ण होगी इसका आकलन स्वयं ही कर सकते हैं।

कुलमिलाकर लगातार बढ़ते विवाद व शांति व्यवस्था प्रभावित करने वाले विषय को लेकर कितनी गंभीरता से लेकर जांच शुरू होगी और जांच में उभरकर सामने आने वाले चौंकाने वाले तथ्य व कड़ियां कैसी होगी इस विषय पर टकटकी लगाए फरियादी व आमजन सूरजपुर कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल से लगाएं हुए हैं कि धोखाधड़ी व लगातार अप्रत्यक्ष दवाब बनाकर किसी भी तरह से दशकों पुराने जमीन से महरूम करने की लगातार कवायदों से उपजे तनाव के वावजूद फरियादी सत्यमेव जयते पंक्ति शब्दों से हकीकत में सुनवाई होकर सामने आने के साथ न्याय मिलेगा, इस आश में फरियादी व अहम मुद्दे पर सभी तबके व क्षेत्र की निगाहें टिकी हुई है।

पुलिस कैसे रोकेगी भूमाफियाओं व राजस्व के गठजोड़ से उत्पन्न होने वाले अपराधों पर

वर्तमान दौर अनुसार पुलिस के समक्ष सीमित संसाधनों व मानव बल के साथ क्षेत्र में शांति व्यवस्था कायम रखने से जुड़ी जिम्मेदारी के साथ ही चुनावी गतिविधियां आरंभ होने के साथ तकनीक के वजह से अपराधों के बदलते स्वरूप पर नियंत्रण रखने की जद्दोजहद में पुलिस अधिकारी व कर्मचारियों पर कार्यों का बोझ काफी अधिक होने के बाद भूमाफिया व राजस्व विभाग के चंद अवसरवादी कर्मियों की वजह से जमीन पर कब्जा को लेकर होने वाले विवाद कब गंभीर मामले का रूप में तब्दील हो जाएं, इसपर आशंका और पूर्व में सामने आए मामले शांत ग्रामीण फिजाओं में अशांति का माहौल निर्मित करने का अहम कारण बतौर है।

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