जिला न्यायालय भवन के लिए भूमि आवंटन चढ़ी लापरवाही की भेंट
बीते 9 वर्ष से अधिग्रहण के मामले में सफलता शून्य

सूरजपुर।जिला न्यायालय भवन के लिए नगर सीमा पर जिला पंचायत के बगल की वन भूमि के आबंटन को लेकर लगातार आ रही अड़चनों के कारण जिला वं सत्र न्यायालय की भूमि पर अब ग्राहण के बादल भी मंडराने लगे हैं। निर्धारित वित्तीय वर्ष में राशि स्वीकृत व जमा न होने के कारण वन विभाग के द्वारा बार-बार राशि बढ़ा दिए जाने के कारण अब मामला गहराते जा रहा है। मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2017 में तत्कालीन कलेक्टर जीआर चुरेन्द्र ने ग्राम तिलसिवां की वन भूमि जिला न्यायालय के लिए आबंटित किया था और भूमि का अग्रिम आधिपत्य भी सौंपा गया था। पिछले 9 वर्षों से चल रही आबंटन की प्रक्रिया में तिलसिवां स्थित आबंटित वन भूमि 1.821 हेक्टेयर में वन तीन बार परिवर्तित हुई है राशि जिला न्यायालय भवन निर्माण हेतु पहले प्रथम चरण की स्वीकृति मिलने के दौरान 2022 में यह राशि 31.98 लाख रूपए थी, राशि उस सत्र में जमा नहीं होने पर यह राशि नए वित्तीय वर्ष 2023-24 में बढ़कर 40.42 लाख रूपए हो गई। 2023-24 में भी राशि जमा न होने पर यह राशि अब 2024-25 में 60 लाख रूपए से उपर हो गई है। वहीं सत्र 2024-25 भी समाप्त हो जाने पर परिवर्तित अंतर राशि 10.59 लाख रूपए का आबंटन अप्राप्त होने के कारण वनमंडलाधिकारी ने अब नए वित्तीय सत्र 2025-26 में निर्धारित दर के साथ परिवर्तित राशि 64.26 लाख रूपए की मांग की है।के व्यपवर्तन का प्रस्ताव भी विभिन्न चरणों के उपरांत आगे की कार्रवाई के लिए प्रेषित किया गया। जिसमें पहले 31.99 लाख से शुरू हुई राशि अब 64 लाख रूपए से उपर की हो गई है। बार-बार राशि परिवर्तन होने के कारण जिला न्यायालय भवन को लेकर कई बार शासन के विधि और विधायी कार्य विभाग के साथ उच्च न्यायालय तथा जिला एवं सत्र न्यायाधीश व कलेक्टर सूरजपुर व वन विभाग के कार्यालय से कई चरण के पत्रों के अदान-प्रदान के बाद भी अब तक जिला न्यायालय की भूमि के संदर्भ में ठोस निर्णय वं सार्थक पहल नहीं हो पाना चर्चा का विषय बना हुआ है। वहीं दूसरी ओर जिला न्यायालय भवन के लिए अधीक्षण अभियंता लोक निर्माण विभाग के द्वारा भी छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को पत्र प्रेषित कर भवन निर्माण के प्राक्लन के संबंध में लागत व प्राक्लन प्रेषित भी किया जा चुका है। जिला न्यायालय की प्रस्तावित व आबंटित भूमि में से राजस्व वन भूमि के रकबे के वन व्यपवर्तन के प्रस्ताव में लगातार हो रही लेट लतीफी नवीन जिला न्यायालय भवन
भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही में विलंब उचित नहीं जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष बलराम कुमार शर्मा ने इस आशय को लेकर उच्च
न्यायालय के चीफ जस्टिस वं प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र प्रेषित करते हुए कहा कि 2013 में जिला वं सत्र न्यायालय की स्थापना हुई और तब से लेकर आज तक पुराने भवन में ही जिला न्यायालय का संचालन हो रहा है, जिसमें काफी कठिनाईयां हो रही है। उन्होंने भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में लेट लतीफी और लंबित होने के मामले को लेकर कहा कि अति सूक्ष्म गति से की जा रही प्रक्रिया के कारण जिला न्यायालय के नवीन भवन के निर्माण में विलंब हो रहा है।
उन्होंने यथाशीघ्र कार्यवाही करने की मांग की है।
के लिए रोड़ा तो बनी हुई है और मामला भी खटाई में पड़ता दिखने लगा है। बहरहाल विभागों के बीच लाल फीताशाही के कारण लगातार कई वित्तीय वर्षों में आबंटन वं स्वीकृति प्राप्त न होने के कारण राशि दोगुनी से अधिक हो गई है, परंतु अभी भी इस मामले में सकारात्मक व सार्थक पहल दिखाई नहीं पड़ रही है।
निर्माण कार्य के प्राक्लन में भी होगा लोनिवि के कार्यपालन अभियंता ने नवीन जिला न्यायालय भवन के लिए सुधार
10 कोर्ट भवन का निर्माण प्राक्लन प्रस्तुत किया है। जिसकी अनुमानित राशि 1194.92 लाख है। चूंकि प्रस्तावित निर्माण स्थल की भूमि अत्याधिक असमतल है और एनएच के सड़क लेबल से 5 मीटर नीचे है तथा खेत व पानी की निरंतरता के कारण रिटर्निंग वाल,फिलिंग, प्लींथ की ऊंचाई हेतु प्राक्लन में सुधार किए जाने का प्रस्ताव दिया है।जिसमें यह राशि लगभग दोगुने से अधिक होने की संभावना लोनिवि ने बताई है।
