डेढ़ दर्जन ग्रामीण परिवार पानी, बिजली जैसे बुनियादी सुविधाओं के मोहताज है।

हाईटेक बस स्टैंड से थोड़ी दूरी पर ग्राम तिलसिवां

नरेंद्र जैन,द फाँलो न्यूज

सूरजपुर,जिला मुख्यालय के हाईटेक बस स्टैंड से थोड़ी दूरी पर ग्राम तिलसिवां की शासकीय भूमि पर बसे करीब डेढ़ दर्जन ग्रामीण परिवार पानी, बिजली जैसे बुनियादी सुविधाओं के मोहताज है। वे कभी कभार नाले में खोदे गए ढोड़ी नुमा गढ्ढे का संक्रमण युक्त दूषित जल पीने को मजबूर है। इस मोहल्ले में एक भी हैंडपंप नहीं है और एक भी कुआं नही है।

उक्त स्थिति ग्राम पंचायत तिलसिवां भैसामार मोहल्ले की है। जहां शासकीय भूमि पर करीब डेढ़ दर्जन ग्रामीणों ने अतिक्रमण कर अवैध मकान बना रखा है। अतिक्रमणकारियों के मुताबिक वे पिछले कई सालों से वहां रह रहे हैं। इन मकानों में अतिक्रमणकारी डेढ़ दर्जन परिवारों के 80 से अधिक सदस्य निवासरत है। उनका कहना है कि प्रशासनिक उदासीनता के कारण वे बिजली, पानी एवं बुनियादी सुविधाओं के मोहताज हैं। उनका कहना है कि वे मजबूरी वश हुकिंग के जरिये अवैध बिजली का उपयोग करने मजबूर हैं।

मोहल्ले वासियों ने बताया कि पानी की विकराल समस्या के कारण उन्हें पेयजल के लिए आधा किलोमीटर दूर स्थित एक गोदाम के हैंडपंप में कतार लगाने को मजबूर होना पड़ता है। तपिश भरी गर्मी में पानी के लिए औरत बच्चो को आधा किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। गोदाम का गेट बंद रहने पर उन्हें नाले में खोदे गए ढोड़ी नुमा गढ्ढे का दूषित जल पीना पड़ता है।

नाले का दूषित पानी है सहारा,,

मोहल्लेवासियों ने बताया कि उन्होंने मोहल्ले से थोड़ी दूरी पर नाले में उन्होंने पानी जमा रखने के लिए ढोड़ी नुमा गढ्ढा खोद रखा है। जिसमे जमा नाला के दूषित पानी का उपयोग वे नहाने और कपड़ा धोने के लिए करते हैं। इतना ही नही गोदाम बन्द रहने के दौरान वे गढ्ढे का दूषित जल पीने को मजबूर हो जाते है। यहीं कारण है कि मोहल्ले के अधिकांश लोग संक्रामक रोगों की चपेट में है।

मोहल्ले की सरिता राजवाड़े का कहना है कि प्रशासनिक उदासीनता के कारण मोहल्ले वासी नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। उनकी समस्या को सुनने वाला कोई नहीं है। वे लोग बिजली पानी जैसी मूलभूत समस्याओं से जूझने को मजबूर हैं।

ग्रामीण महिला सुखमनिया सोनी ने कहा कि वे लोग बुनियादी सुविधा के अभाव में दूषित जल का उपयोग करने को मजबूर हैं। बार-बार मांग के बावजूद सालों से वे लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। हैंड पंप लगाने के लिए तीन साल पहले हम लोगों ने गांव के ही एक नेता को 6 हजार रुपए चंदा कर दिया था। उसके बावजूद उनके मोहल्ले में हैंडपंप नहीं लग सका है।

यहां आस-पास तथा जिला मुख्यालय में सैकड़ों की संख्या में लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है, लेकिन पंचायत प्रतिनिधि हमारा अतिक्रमण हटाने के लिए लामबंद हो गए हैं। हम लोग गरीब हैं। मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं। हम लोग रोज कमाने और खाने वाले लोग हैं। सालों से काबिल हम लोगों को शासन की योजना के अनुरूप भूमि का पट्टा दिया जाना चाहिए। यदि अतिक्रमण हटाना है तो पहले अवैध रूप से खड़ी बड़ी-बड़ी इमारतों को धरासाई किया जाना चाहिए।

 

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