चैत्र नवरात्र पर मां बागेश्वरी के दर्शन हेतु बड़ी संख्या में श्रद्धालु..कुदरगढ़ पहाड़ में कई रहस्य भी छिपे हुए है।

सूरजपुर।चैत्र नवरात्र पर मां बागेश्वरी के दर्शन हेतु बड़ी संख्या में इन दिनों कुदरगढ़ में लोग पहुँच रहे है।माता के आशीर्वाद के लिए सीजी ही नही बल्कि मध्यप्रदेश, राजस्थान और उड़ीसा तक के श्रद्धालु यहां इस वर्ष अब तक आ चुके है। ऐसी मान्यता है कि पहाड़ पर बिराजी माँ बागेश्वरी के दरबार से कोई खाली हाथ नही लौटता है। यही वजह है कि दिनों दिन श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा हो रहा है।माता के आशीर्वाद के साथ साथ कुदरगढ़ पहाड़ में कई रहस्य भी छिपे हुए है। जिन्हें टटोलने की जरूरत है।मसलन, इस पहाड़ पर स्थित विजय कुंड व झरना किसी चमत्कार से कम नही है।बताया जाता है कि विजय कुंड व झरना के पानी का स्रोत कहाँ से है आज तक यह रहस्य ही बना हुआ है।दिलचस्प यह भी है कि बारहोमास कुंड में एक समान पानी रहता है वह भी तब जब दूसरी ओर इसी कुंड का पानी लगातार झरने के माध्यम से बहता भी रहता है। विजय कुंड व झरने का पानी इतना निर्मल है कि यह दवा के रूप में भी काम करता है।ऐसी मान्यता है कि गैस की समस्या से पीड़ित व्यक्ति लगातार एक महीने तक इस पानी का उपयोग कर दे तो वह इस समस्या से निजात पा लेता है। कहा जाता है कि प्रत्येक वर्ष नवरात्र के दौरान यहां माता की सवारी शेर के दर्शन या चिंघाड़ जरूर सुना या देखा जाता है।पिछले वर्ष तो इसी नवरात्र के दौरान एक बाघ के साक्षात दर्शन ही नही हुआ बल्कि मुकाबले में ग्रामीण की जान भी चली गई और इसे काबू में करने के लिए वन विभाग को भारी जदोजहद करनी पड़ी थी।बाद में इसे कानन पेंडारी ले जाया गया। माता के चरणों का है वरदान,लोगों की मान्यता है कि विजय कुंड तक यह पानी माता के चरणों से होकर आता है।जिससे यह पानी चरणामृत से कम नही है।दूसरी ओर जानकार यह भी बताते है कि पहाड़ पर इतने औषधि पेड़ पौधे है जिसके होकर यह पानी आता है जिसकी वजह से यह औषधियुक्त पानी बन जाता है।कभी नही भरता रक्त कुंड.इतना ही नही देवीधाम के समीप स्थित रक्त कुंड भी किसी चमत्कार से कम नही है।बताया जाता है कि यहां मां बागेश्वरी के अनेक सेवको में एक झगराखण्ड देवता भी है जिन्हें बकरे की बलि दिए जाने की परम्परा है।नवरात्र में प्रतिदिन कम से सौ बकरो की बलि चढ़ती है पर यह रक्त कुंड कभी भरता नही है और न ही रक्त कुंड से बाहर बहता है।जिसे लोग चमत्कार के रूप में देखते है। पुराने धाम के पास मिली है पुरातत्व महत्व की मूर्ति कुदरगढ़ में आज जहां पूजा होती है उससे उपर पहाड़ पर पुराना धाम है।जो काफी दुरूह व खतरनाक है।इस जगह पर राजा बालन्द की गढ़ी बताई जाती है इसी जगह पर पहले पूजा अर्चना होती थी।बताते है कि इस जगह पर एक नाला है जहाँ कुछ पंडो जनजाति के लोग शिकार के लिए गए थे तब उन्हें नाले में दबी हुई एक मूर्ति मिली है, जो काफी आकर्षक है और वह पुरातात्विक महत्व की बताई जा रही है।फिलहाल पंडो जनजाति के लोगो ने उस मूर्ति को पूजा स्थान पर स्थापित कर पूजा पाठ कट रहे है। कुदरगढ़ ट्रस्ट का नही हुआ अब तक चुनाव.यूं तो ट्रस्ट बनने के बाद लगातार कुदरगढ़ में सुविधाओं का विस्तार हो रहा है। परन्तु ट्रस्ट बनने के इस लम्बे समय के बाद भी इसका चुनाव नही हो पाया है। मेले के दौरान व्यवस्था की दृष्टि से अध्यक्ष मनोनीत किये जाते रहे है।लोग यहां ट्रस्ट के चुनाव की आवश्यकता बताते हुए अब चुनाव की मांग करने लगे है, ताकि विकास व सुविधाओं के विस्तार को गति दिया जा सके। भाजपा नेता राजेश तिवारी के अनुसार सुविधाओ का काफी विस्तार हुआ है अब रोप वे की दिशा में तेजी से काम हो रहा है।लेकिन फिलहाल सीढ़ियों में रेलिंग के साथ ऊपर में शेड की निर्माण की तत्काल जरूरत है।जिससे श्रद्धालुओं को राहत मिल सके।साथ ही वे पुराने धाम के जीर्णोद्धार की आवश्यकता बताते है।उनका मानना है कि उस जगह की भी अपनी अलग महत्ता है।इस जगह पर पुरातात्विक महत्व के कई अवशेष है जिन्हें सहेजने की जरूरत है।श्री तिवारी के अनुसार इस जगह के जांच आदि से कई ऐसे पहलू सामने आएंगे जिसकी राष्टीय स्तर पर पहचान हो सकती है।लिहाजा इस ओर ध्यान देने की जरूरत है।