भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबा जिले का कुदरगढ़ वन परिक्षेत्र

सुभाष गुप्ता सूरजपुर
गिरवानी नाल चढ़ा भ्रष्टाचार की भेंट
सूरजपुर – भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबा सूरजपुर वन मंडल अपनी कारगुजारियों को लेकर नित नए आयाम स्थापित कर रहा है। घोटालो भ्रष्टाचार की तमाम शिकायतों के बावजूद कार्रवाई तो दूर की बात रही, उल्टा जिम्मेदार अधिकारी अपनी जिम्मेदारी को पीठ दिखाकर हम नहीं सुधरेंगे की तर्ज पर भ्रष्टाचार फैला रहे अधिकारियों को खुला संरक्षण दे रहे है और कार्रवाई के आभाव में निरंकुश हो चुके भ्रष्ट अधिकारी भ्रष्टाचार के नए नए आयाम स्थापित कर अपनी तिजोरी भर रहे है। जिसका हिस्सा जिले के विभाग प्रमुखों को भी बतौर दस्तूर पहुंच रहा है। जिसका नतीजा यह है कि पिछले कुछ सालों से भ्रष्टाचार के मामलों में जिले का वन मंडल सुर्खियां बटोर रहा है। विभाग द्वारा जनहित के लिए कराए गए कई काम कागजों तक सिमट कर रह गए है तो वहीं जो काम धरातल पर किये गए है या चल रहे है वह भी भ्रटाचार की भेंट चढ़ गए है। परंतु जिम्मेदार है कि खुले आंखों से भी भ्रष्टाचारी करतूत नहीं देख पा रहे है अगर कोई उन्हें अपनी जिम्मेदारी समझ बताने या फिर शिकायत का भी प्रयास करता है तो विभाग के जिम्मेदार अपनी गैर जिम्मेदाराना हरकतों का नमूना पेश कर अनसुना कर देते है। जो भ्र्ष्टाचारी अधिकारी कर्मचारी के हौसलो को और उड़ान भरने को हिम्मत देता है। हाल फिलहाल में एक ऐसा ही मामला कुदरगढ़ वन परिक्षेत्र के गिरवानी नाले का है। जहां लाखों की लागत से हो रहे निर्माण कार्य भ्रष्टाचार का भेंट चढ़ चुका है, पिछले कई सालों से हो रहे यहां के निर्माण कार्य आज तक पूरा नहीं हो सका है,,इन्हीं निर्माण कार्यों का निरीक्षण करने कुछ दिन पूर्व ट्राइबल आयोग के अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह पहुंचे थे जिन्होंने परिक्षेत्र के रेंजर को खूब फटकार लगाते हुए निर्माण कार्यों की जांच कराने की बात कही थी लेकिन लाखों रुपए के वारा न्यारा कर चुके वन विभाग पर किसी तरह का कोई जांच नहीं हुआ, जिससे नाराज क्षेत्रवासी वन विभाग पर व्यापक रूप में भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं। इस काम के लिए लगभग 97 लाख की स्वीकृति प्रदान की गई थी जिसमें से 65 लख रुपए फर्जी तरीके से काम किए बिना आहरण कर लिया गया है। जिला मुख्यालय से दूरस्थ क्षेत्र होने के कारण उच्च अधिकारी मौके पर नहीं पहुंच पाते ,जिस वजह से वन परिक्षेत्र के मालिक कहे जाने वाले रेंजर मनमानी कर सरकार को लाखों रुपए का चूना लगा रहे हैं। ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि मनरेगा के तहत किया जाने वाला इस काम को खुलेआम जेसीबी से कराकर लीपा पोती कर दी गई है। सूरजपुर वन मंडल के लगभग सभी परिक्षेत्र में करोड़ों रुपए के कामों का स्वीकृति सरकार से मिल तो जाती है पर परिक्षेत्र अधिकारी इसे अपनी मोटी कमाई का जरिया मानकर खुलेआम भ्रष्टाचार करते रहे हैं। एक तरफ सरकार को बड़े पैमाने पर चूना लगाया जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ क्षेत्र की जनता को योजनाओं एवं विकास कार्यों का लाभ नहीं मिल पा रहा है। कई निर्माण कार्य तो ऐसे हैं जिनका धरातल पर कोई वजूद ही नहीं है और वह काम कागजों में पूर्ण बता दिया गया है ।।
पूर्व में रहे वनमंडला अधिकारी संजय यादव के स्थानांतरण पश्चात ,पदभार संभाल चुके नए वनमंडलाधिकारी पंकज कमल इनका तो कार्य प्रणाली ही समझ से परे है जबसे सूरजपुर का इन्होंने जिम्मेदारी उठाई है तब से ये किसी का फोन उठाना ही उचित नहीं समझते।
आखिर शिकायत करें तो करें किससे,, कई वन परिक्षेत्राधिकारी बिल वाउचर भजाने में भारी व्यस्त नजर आ रहे हैं। इन्हें निर्माण कार्यों में लीपापोती करने के अलावे कुछ सूझ ही नही रहा है।
चुनावी सर गर्मी भी इन दिनों तेज है छत्तीसगढ़ में सरकार भी किसी प्रकार के आरोपों से बचने का भरपूर प्रयास कर रही है लेकिन ऐसे वन मंडल के निरीक्षण करने के दौरान कई सारे कमीयों का उजागर होने के बाद भी आयोग के अध्यक्ष द्वारा इन भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कोई भी करवाई अभी तक नहीं किया गया है। ऐसे में क्षेत्रीय जनता अपने आप को ठगा महसूस कर रही है।