जिला प्रशासन के लाख दावे हुए फैल,,राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र पढ़ाई से हो रहे वंचित जाने क्या है पूरा मामला

सुरजपुर। राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले पण्डो जनजाति के बच्चों को पढ़ाने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, ताकि उन्हें मुफ्त और अच्छी शिक्षा मिल सके, लेकिन सूरजपुर के ओडगी इलाके का एकलव्य आवासीय विद्यालय में स्कूल और जिला प्रशासन के लापरवाही का खामियाजा यहां के बच्चे भुगतने को मजबूर हैं, यहां के बच्चों का जाति प्रमाण पत्र ना बनने की वजह से लगभग 15 बच्चों का नाम स्कूल से खारिज कर दिया गया है, परिजनों के अनुसार हुए पिछले कई साल से जाति प्रमाण पत्र बनाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं तो वही स्कूल प्रबंधन नियमों का हवाला दे रहा है,,सूरजपुर के ओडगी इलाके के एक छोटे गांव में रहने वाला अखिलेश पण्डो, यह एकलव्य आवासीय विद्यालय में पिछले 3 सालों से पढ़ाई कर रहा था, लेकिन इस साल उसे यह कहकर स्कूल से घर भेज दिया गया कि तुम्हारा जाति प्रमाण पत्र नहीं होने की वजह से स्कूल से तुम्हारा नाम खारिज कर दिया गया है, यह स्थिति सिर्फ अखिलेश की ही नहीं है बल्कि ऐसे लगभग 15 बच्चे है,, जिनका जाति प्रमाण पत्र ना होने की वजह से स्कूल से नाम काट दिया गया है, इन बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है, आर्थिक तंगी की वजह से यह प्राइवेट स्कूलों में दाखिला नहीं ले सकते हैं और सरकारी स्कूलों में दाखिला बंद हो चुका है,, ऐसे में यह बच्चे अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं,, वहीं इनके परिजनों के अनुसार उनके पास जाति प्रमाण पत्र बनवाने के लिए सभी डाक्यूमेंट्स मौजूद हैं, बावजूद इसके वह पिछले कई सालों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं, अधिकारियों से फरियाद कर रहे हैं, लेकिन इनका जाति प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहा है, ऐसे में उन्हें भी अपने बच्चों की भविष्य की चिंता सता रही है,,वही स्कूल प्रबंधन नियमों का हवाला दे रहे हैं, उनके अनुसार एडमिशन के समय बच्चों के परिजनों के द्वारा आश्वासन दिया गया था कि जल्द ही बच्चों का जाति प्रमाण पत्र जमा कर दिया जाएगा, लेकिन कई साल बीत जाने के बाद भी अभी तक उनके द्वारा जाति प्रमाण पत्र संलग्न नहीं किया गया है, लेकिन अब केंद्र सरकार के गाइडलाइन के बाद जिन बच्चों का जाति प्रमाण पत्र नहीं है उन्हें विद्यालय में दाखिला नहीं दिया जा सकता है, जिसकी वजह से कई बच्चों के नाम स्कूल से काट दिए गए हैं, वही इस बात को लेकर स्थानीय लोग भी आक्रोशित हैं और बच्चों का एडमिशन ना होने की स्थिति में सड़क पर उतर कर उग्र आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं,!

राज्य सरकार द्वारा आदिवासी जनजाति के जाति प्रमाण पत्र के लिए नियमों को लचीला किया गया है, बावजूद इसके संबंधित अधिकारी और कर्मचारी गरीब आदिवासियों को दफ्तरt का चक्कर लगवा रहे हैं,, ऐसे में इन लापरवाह अधिकारी और कर्मचारियों की वजह से मासूम बच्चों का भविष्य अंधकार में होता नजर आ रहा है!

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