सूरजपूर:प्रेमनगर- क्रेडा विभाग का प्लांट 3 माह से बंद, लगभग 42 पंडोजनजाति का घर सौर ऊर्जा पर आश्रित, अंधेरे में गुजर बसर करने को मजबूर

रात्रि में आग जलाकर सोते है खुले आसमान के निचे बना रहता है जंगली जानवरों का खतरा,फोन चार्ज करने जाते है अन्य मोहल्ला

सुरजपुर:!जिले के प्रेमनगर विकास खण्ड में अव्यवस्था रुकने का नाम नही ले रहा है। वनांचल क्षेत्र में निवासरत ग्रामीणो को सविधाओं के नाम पर केवल खाना पूर्ति हो रहा है। अतिपिछड़ी जनजाति के ग्रामीण भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित देखें जा सकते है। जिसके बाद भी जिला प्रशासन निष्क्रिय अफसरों पर सरंक्षण बनाये हुए है। क्रेडा विभाग के माध्यम से ग्रामीण अंचल में पावर प्लांट का स्थापना किया गया था। जो महीनों से बंद पड़ा है।और जिले के क्रेडा विभाग के अफशर ऐसी कमरों में बैठ कर ग्रामीण अंचल का मेन्टेन्स कागजों में कर रहे है। जिसको लेकर स्थानीय नेताओं ने क्लेक्टर, कमीशन, सीएम सहित अन्य को शिकायत की है। गौरतलब है कि प्रेमनगर विकास खण्ड के ग्राम पंचायत हरिहरपुर जो कि प्रेमनगर का अंतिम छोर का गाँव माना जाता है। हरियपुर पंचायत के रिझनाबहरा पारा बड़ी संख्या में अतिपिछड़ी संरक्षित जनजाति पंडो व धनुहार निवासरत है। इस मोहल्ले में क्रेडा विभाग द्वारा 2 पावर प्लांट लगाया गया था। जो कई महीनों से बंद पड़ा है। ग्रामीन इस भीषण गर्मी में पेड़ की छाव में दिन गुजार रहे है तो रात्रि में आग जलाकर खुली आसमान में सोने को मजबूर है। इस मोहल्ला में करीब 42 घर है। घरों में रोशनी इसी बंद पड़े प्लांट से होता था।ग्रामीण बताते है कि इस भीषण गर्मी में हाल बेहाल हो गया है। हमने बनी मजदूरी करके मोबाइल खरीदा है जिसका चार्ज के लिए दूसरे मोहल्ले में जाना पड़ता है। तो वही रात्रि में लाइट नही होने से जंगली जानवर का खतरा बना हुआ है। जंगली जानवर कई दिन हमारे घरों तक आ जाते है। फिलहाल में हाथी नही आये नही तो रात्रि जाग कर हम बिताते थे। आगे बताते है कि कुछ माह पूर्व बैट्री खराब था जिसे विभाग वालों ने नया लगाया था। इस प्लांट को देख रेख करने वाले ग्रामीण बताते है कि बैटरी ठीक है। इसका इन्वर्टर खराब जिसका मरम्मद कराने के लिए करीब 3 माह पूर्व क्रेडा विभाग के इंजीनियर ले गए है। आज तक नही लगाए है। महिलाएं बताती है कि रात्रि होते ही हमें खाना पीना खिलाना पड़ता है अंधेरा होने के बाद बनाने में बहुत दिक्कत होता है। पहले शासकीय राशन दुकान से मिट्टी का तेल मिलता है लाते थे तो ढ़िबरी से काम चलता था। किंतु अब मिट्टी का तेल इतना महंगा है कि खरीदने का हिम्मत नही है। बाजार से टार्च लेकर आये है। उसी से काम चलाना पड़ रहा है!

यहां के ग्रामीणो का सुध लेने वाला कोई नही है। इसको लेकर स्थानीय नेताओं ने ग्रामीणों के साथ क्लेक्टर मुख्यमंत्री, सरगुजा आयुक्त को लिखित शिकायत कर जिम्मेदारों पर कार्यवाही की मांग की है।

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