सूरजपुर। जिले के नगर सेना विभाग में भर्राशाही व मनमानी चरम सीमा में है।

सूरजपुर। जिले के नगर सेना विभाग में भर्राशाही व मनमानी चरम सीमा में है।हालत यह है कि थानों में पदस्थ कर्मचारी पुलिसिया रौब झाड़ वसूली कर रहे और छवि पुलिस की खराब हो रही है पुलिस अपनी छवि ठीक करने तो अपने कर्मचारियों पर कार्रवाई करती रहती है पर नगर सेना के अधिकारियों को इससे कोई फर्क नही पड़ता?अभी हाल में रामानुजनगर थाने का जो मामला सामने आया था उसमें यही कहानी सामने आई।

जिसमे पुलिसकर्मी तो सस्पेंड हो गया पर नगरसेना ने क्या कार्रवाई की ….? या इस नाम पर अधिकारियों ने वसूली कर ली, यह राज का विषय है..! सूत्र बताते है कि नगर सेना में पूरा खेल पैसों पर ही चल रहा है।कायदे से नगर सेना के जवानों को उस थाने में नही रखना है जिस थाना क्षेत्र के वे है पर इस नियम की खुलेआम धज्जियाँ उड़ रही है। ज्यादातर जवान थाना क्षेत्र तो क्या गृह ग्राम से लगे थानों में पदस्थ है।

ये पोस्टिंग ऐसे रहमोकरम पर नही होती बल्कि पोस्टिंग पर पैसा और फिर महीने में चढ़ोत्तरी के एवज में होता है।सूत्र तो यह भी दावा करते है कई ऐसे कर्मचारी है जिन्हें कागजो पर रखा गया है वे रहते घर मे या कोई दूसरा काम करते है पर तनख्वाह नगरसेना देती है।यह जांच का विषय है इसकी बारीकी से जांच की जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।यही नही आपदा राहत के नाम पर हुई लाखो की खरीदी में भी बड़ी गड़बड़ी की आशंका व्यक्त की गई है।

कहते है इसमें नियमो का उलंघन तो अपनी जगह है दाम में भी बड़ी झोल झाल है इसकी जांच की जरूरत है।जिस पर कतिपय समाजसेवी संगठन ने राज्य अन्वेषण ब्यूरो को पत्र लिख कर जांच कराने की मांग की है।सूत्र के दावे पर यकीन करें तो नगरसेना में पदस्थ अधिकारी की कार्यशैली से एसपी भी बेहद खफा है और उन्होंने इसकी शिकायत भी की है।इसके पहले भी डीजी से शिकायत हुई है पर आज तक मुकम्मल कार्रवाई न होने से अधिकारी के हौसले बुलंद है।

जिससे नगरसेना में मनमानी चरम पर है और सरकार व जिला प्रशासन की छवि पर बट्टा लग रहा है।राज्य के आला अफसरों का इस ओर ध्यानंकर्षित कर सम्पूर्ण मामले की जांच की मांग की गई है।

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