राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पर हुआ विधिक जागरूकता कार्यक्रम,शिक्षा और न्याय के समन्वय का दिया गया संदेश

सूरजपुर। राष्ट्रीय शिक्षा दिवस ज्ञान और न्याय के समन्वय के रूप में मनाते हुए, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आज शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रामनगर में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और व्यापक विधिक जागरूकता कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया। इस पहल का उद्देश्य विद्यार्थियों को उनके संवैधानिक अधिकारों के प्रति जागरूक करने के साथ-साथ निःशुल्क कानूनी सहायता की उपलब्धता सुनिश्चित करना था।कार्यक्रम में अध्यक्ष प्रधान जिला वं सत्र न्यायाधीश,श्रीमती विनीता वार्नर के सक्रिय मार्गदर्शन सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव पायल टोपनो ने की, जिन्होंने कानूनी प्रावधानों को सरल भाषा में विद्यार्थियों के सामने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए, न्यायाधीश टोपनो ने स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद के विजन को याद किया, जिनके जन्मदिवस को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होने कहा मौलाना आजाद का मानना था कि हर नागरिक को शिक्षित होना चाहिए और जिला विधिक सवा प्राधिकरण का मानना है कि हर शिक्षित नागरिक को अपने कानूनी अधिकारों के प्रति भी जागरूक होना चाहिए, क्योंकि अज्ञानता न्याय प्राप्त करने में सबसे बड़ी बाधा है।अपने विस्तृत व्याख्यान में, सचिव पायल टोपनो ने विशेष रूप से विद्यार्थियों से जुड़े निम्नलिखित कानूनी पहलुओं पर ध्यान केंद्रित कियाः शिक्षा का अधिकारः उन्होने आरटीई अधिनियम की धारा 21(ए) के तहत् 06 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के मौलिक अधिकार की व्याख्या की। उन्होंने छात्रों को बताया कि स्वतंत्रता, समानता और शोषण के विरूद्ध अधिकार जैसे मौलिक अधिकार उन्हे समाज में गरिमापूर्ण जीवन जीने की शक्ति देते हैं, वहीं संविधान में उल्लिखित मौलिक कर्तब्य उन्हे राष्ट्र के प्रति उनके दायित्वों की याद दिलाते हैं।विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 के तहत् निःशुल्क विधिक सेवाओं की उपलब्धता पर विस्तार से बताया। त्वरित संपर्क के लिए उन्होने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नालसा द्वारा संचालित टोल फ्री नंबर 15100 की महत्ता को रेखांकित किया, जिसे किसी भी कानूनी संकट या जानकारी के लिए तुरंत डायल किया जा सकता है।सामाजिक और डिजिटल सुरक्षा- सायबर अपराधों की रोकथाम डिजिटल युग में खतरों को समझते हुए, उन्होने छात्रों को फिशिंग सायबर बुलिंग और डेटा चोरी जैसे सायबर अपराधों से सुरक्षित रहने के लिए डिजिटल साक्षरता और गोपनीयता के महत्व पर बल दिया। इसके अतिरिक्त उन्हाने बाल विवाह को न केवल एक सामाजिक बुराई, बल्कि एक दंडनीय अपराध बताया और उपस्थित छात्रों से इस कुप्रथा के विरूद्ध जागरूकता फैलाने की आग्रह की।
व्याख्यान के अंतिम चरण में,सचिव टोपनो ने छात्रों को उनके कैरियर के संबंध में व्यावहारिक सुझाव दिए। उन्होने उन्हें न केवल उच्च शिक्षा प्राप्त करने,बल्कि समाज के प्रति संवेदनशील और जागरूक बनने के लिए भी प्रोत्साहित किया।
इस कार्यक्रम के अवसर पर विद्यालय की प्रार्चाय श्रीमती सुषमा बखला विद्यालय के समस्त शिक्षकगण तथा अधिकार मित्र चिरंजीव लाल राजवाड़े,सत्य नारायण,कृष्णकांत कुश्वाहा,उमेश कुमार राजवाड़े वं विद्यालय के विद्यार्थिगण उपस्थित रहे।
