घुमन्तु गौवंशो का सहारा बना मिश्र परिवार

25 से अधिक गौवंशो की घर मे रखकर करते है सेवा गौवंशो की सेवा से मिश्र परिवार को मिलता है सुकून

सूरजपुर। समाज सेवा के नाम पर औपचारिक्ता व उसके बाद ढिंढोरा पीटने वाले लोगो की कमी नहीं है, परंतु इन सबके बीच कुछ लोग ऐसे भी है जो सिर्फ सेवा को ही अपना कर्तव्य मानकर निःस्वार्थ भाव से इंसानों के साथ गौ वंश की सेवा में अपनी सीमित आमदनी के बावजूद अपनी ही व्यवस्थाओं में सपरिवार लगे हुए है और घर तो घर दुकान में भी गौ माता के प्रति प्रेम झलकता है। आज इनके घर में 25 से ऊपर ऐसे गौवंश है जो सड़को पर आवारा घूमते थे या फिर जो बेचारगी की तरह सड़को व गलियों में पड़े रहकर अपनी जिंदगी के दिन गिन रहे थे। जिनकी सेवा के लिए इन्होंने बकायदा सुबह और शाम का समय तय कर रखा है और दिन के बाकी बचे समय मे इनकी पत्नी गौवंशो की सेवा करतीं है। नगर के अग्रसेन वार्ड के निवासी अधिवक्ता कृष्णकांत मिश्रा व उनकी पत्नी श्रीमती रुक्मणी मिश्रा जिनका घर गौशाला से कम नहीं है। इनके घर मे 25 से ऊपर ऐसे गौवंश है जिन्हें उनके मालिको ने काम निकलने के बाद सड़को पर आवारा छोड़ दिया। यही नही कई मवेशियों को उपचार की आवश्यकता थी जिन्हें भी मतलबी मालिको ने काम निकल जाने के बाद आवारा छोड़कर इन अन बोलता गौवंशो से अपना नाता तोड़कर सड़को पर भूखे प्यासे भटकने को छोड़ दिया था। ऐसे गौवंशो के लिए मिश्रा परिवार सहारा ही नही बल्कि देवदूत से कम नही है। देवदूत इस लिहाज से की कई ऐसी गौ माताओ को उन्होंने जीवन दान दिया है जिनके उपचार के नाम पर डक्टर ने हाथ खड़े कर लिए थे।कई ऐसी गोमाताओ की सेवा अभी भी वे कर रहे है जो गम्भीर बीमारी से पीड़ित है। सीमित संसाधनों के बावजूद बगैर किसी सहयोग के खुद से चारा पानी से लेकर उनकी समुचित सेवा में लगें हुए है। घर तो घर श्री मिश्र की मेन रोड पर एक प्रभात एग्रो के नाम से प्रतिष्ठान है जहां वे जब सुबह पहुंचते है इसी दौरान एक गौ माता भी वहां पहुंच जाती है और बकायदा उनके दुकान के अंदर पहुंच कर आराम से बैठकर गुड पानी की सेवा लेने के बाद निकल लेती है और फिर इसी क्रम में वह शाम को भी पहुँचती है। श्री मिश्र व उनके परिवार की इस निःस्वार्थ भाव से की जाने वाली गौसेवा की लोग खुले कंठ से तारीफ करते है। श्री मिश्र का मानना है कि उनपर गौवंशो की कृपा है जिसके कारण वे सीमित आमदनी में भी उनकी अच्छे से सेवा कर पा रहे है। इस सेवा में उनकी पत्नी श्रीमती रुक्मणी मिश्रा व पुत्र सत्यम मिश्रा भी उनका साथ देते है।दिलचस्प यह भी है इन गोवंशों में शायद ही एकाद ऐसी होंगी जो दुधारू हो..!

नाम पुकारने पर चली आती है….

श्री मिश्र ने बताया कि उनके इस कथित गोशाला में कुछ गो माता का नाम भी रखा है और जिन्हें नाम से पुकारते है वे चली आती है।नाम भी गोपाली,गंगा,सोनाली,लक्ष्मी,सुशीला ,दुर्गा चन्दा व पूजा जैसे आदि आदि है।एक चन्दा है जो रोज पूजा के दौरान आकर खड़ी हो जाती है और पूजा के बाद अपने निर्धारित स्थान पर चली जाती है।

समस्या अनन्त…… पर निदान…..!

हिन्दू धर्म की कोई भी अनुष्ठान या पूजा हो उसमे गौ माता की जय का जयकारा जरूर लगता है पर दूसरी ओर उन्ही गौ माताओ की दुर्गति आज सड़को पर भी दिखती है।लोग दूध तक तो गौ माताओ की सेवा सत्कार करते है पर जैसे ही दूध देना बंद वैसे ही आवारा छोड़ देते है।कुछेक मामलो में तो हालत यह है कि गौ माता सड़क में ही बछडे को जन्म देकर पड़ी रहती है उनकी सुध लेने कोई सामने नही आता।जिससे वे सड़को पर पड़ी रहती है।सड़को पर मवेशियों का जमावड़ा एक बड़ी समस्या बन कर रह गई है।जो शासन प्रशासन के लिये सर दर्द से कम नही है।कई जगहों पर गौ शाला भी संचालित है। इसके बाद भी इन समस्याओं का कोई हल नही है।

पशु चिकित्सा विभाग पर सवाल…?

विडंबना यह है कि जिस पशु चिकित्सा विभाग पर इन गौवंशो के उपचार वं समुचित देखरेख की जिम्मेदारी है वे अपनी जिम्मेदारी पर खरा उतरे हो यह उनके व्यवहार को देखकर लगता नही है। हालत यह है कि बीमार गौवंशो की सूचना देने पर भी विभाग के सम्बन्धित लोग मौके पर समय पर पहुंचे हो यह आज तक नहीं हुआ। हाँ अपने मुंह मिया मिट्ठू बनना हो या कागजी खाना पूर्ति करना हो तो यह विभाग अव्वल रहता है। सड़क पर बीमार पड़े मवेशी या इनके साथ दुर्घटना की जानकारी पर भी पशु विभाग के ये जिम्मेदार अफसर चुप्पी साधे रहते है या मोके पर पहुँचे भी तो दूर से ही प्रमाण कर लेते है।

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