प्रेमनगर में हाथियों ने ली दो बच्चों की जान,ओड़गी में बाघ का आतंक

सगे भाई बहन को हाथियों ने कुचला

सूरजपुर।जिले के ओड़गी ब्लॉक में जहाँ बाघ के आमदरफ्त को लेकर लोग दहशत में है तो वहीं प्रेमनगर में हाथियों ने दो मासूमो की जान ले ली है।ओड़गी ब्लॉक के कुदरगढ़ रेंज के कुछ गांवों में पिछले दो दिनों से बाघ के आवाजाही की खबरों से दहशत की स्थिति है।इस बीच शुक्रवार व शनिवार दोनो दिन अलग अलग जंगलो में गाय को शिकार बनाये जाने से लोग और डर गए है।वन विभाग लोगो से जंगल की ओर न जाने के साथ सतर्क रहने की सलाह दे रहा है।कोरिया जिले से लगे धरसेड़ी सहित अन्य गांव में दो अलग अलग ग्रामीणों के गाय जंगल मे मृत मिले है।चूंकि कोरिया जिले में बाघ की आमदरफ्त है इसलिए बाघ के द्वारा शिकार किये जाने की बात की जा रही है।इसी के मद्देनजर वन विभाग ने पैरो के निशान आदि भी संकलन किये है।किन्तु शिकार किये जाने के अंदाज से बाघ की पुष्टि नही कर पा रहे है।जिससे तेंदुआ या किसी अन्य जानवर की बात भी कही जा रही है।इधर दूसरी ओर प्रेमनगर के महेशपुर में बीती रात हाथियों के दल ने दो बच्चों को कुचल कर मार डाला है।बताया गया है कि महेशपुर गांव के समीप मुल्की पहाड़ पर बिखु पंडो के झोपड़ी नुमा घर पर रात करीब 1 बजे तारा जंगल की ओर से 11 सदस्यी हाथियों का दल पहुंच गया, जहां पंडो परिवार के घर पर धावा बोल दिया।इस दौरान पति पत्नी और अपने चार बच्चों के साथ झोपड़ी में सो रहे थे।जिससे बिखु की नींद खुल गई और अपने परिवार की जान बचाने की कोशिश करने लगा। इस कोशिश में दंपति ने अपने दो बच्चों को लेकर भागा जिससे जान बच पाई।पर 3 वर्षीय बेटी एवं 9 वर्ष का बेटा घर पर ही छूट गए जिन्हें हाथियों ने कुचल डाला जिससे दोनों बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई।दो सगे भाई बहनों की मौत से गांव में मातम पसर गया है। हाथियों ने घर को भी पूरी तरह तहस नहस कर दिया है।मृतक बच्चों के नाम बिसू पंडो (11) और काजल (5) बताये गए है।

दूसरे गांव में गुजारी रात..

बिखु पंडो हाथियों के हमले के बाद दो बच्चों और पत्नी के साथ भागकर दूसरे गांव पहुंचकर रात गुजारी और सुबह ग्रामीणों के साथ घर पहुँचा तो घर पूरी तरह से तहस-नहस हो गया था। पास ही दोनों बच्चे मृत पड़े थे। हाथियों ने घर में रखे अनाज को भी खा लिया है। घटना की सूचना पर वन अमला पहुँच कर लोगो से सावधान रहने की सलाह देकर कर्त्तव्यों की इति श्री कर ले रहा है।

एसी में अधिकारी तो मौज में कर्मचारी….❓

जिले में कहीं वनों की कटाई हो रही है तो कहीं जंगली जानवरों के आतंक से लोग परेशान है। वनों के रखवाल जिले में बैठे जिम्मेदार अफसर एसी कमरे में मस्त है। इन अफसरों के मैदान में जाने की बात तो छोड़िये वे दफ्तर तक अपने हिसाब से आते है।फोन भी मन किया तो उठा लिए वरना उनकी मर्जी ऐसे अफसरों के कारण मैदानी कर्मचारी भी मदमस्त है।हाथी और बाघ के मामले में विरोधाभास की स्थिति है।जिले के अफसर बता रहे बाघ घूम रहा मुनादी करा रहे मैदानी कर्मचारी कह रहे बाघ नही कोई अन्य जानवर है।ऐसी स्थिति में जिले में वन क्षेत्र की हालत क्या होगी ..❓ इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

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