गंगा दशहरा..दुलही तालाब पर महाआरती की तैयारी आयोजको में भारी उत्साह

सूरजपुर। दुलही तालाब पर गंगा दशहरा पर होने वाली गंगा पूजन व महाआरती के लिए तालाब परिसर में तैयारी पूरी कर ली गई है।गंगा आरती में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के आकर्षण के लिए तालाब परिसर को रंग बिरंगी रोशनी से सजाया जा रहा है वहीं आयोजन की तैयारियों को लेकर टेंट पंडाल आदि लगाने का कार्य किया जा रहा है जो आज सुबह तक पूर्ण कर लिया जाएगा। इस मौके पर पांच ब्राह्मणों के द्वारा बनारस की गंगा आरती के तर्ज पर महाआरती के कार्यक्रम को सम्पन्न कराया जाएगा जो आकर्षण का केंद्र होगा।शाम 5 बजे से भजन संध्या का आयोजन होगा। मोक्षदायिनी माँ गंगा के पृथ्वी पर अवतरण दिवस गंगा दशहरा के पावन पर्व पर पँचमदिर स्थित दुलही तालाब में विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी गंगा पूजन व महाआरती का आयोजन किया गया है। पूर्व में यहां गंगा दशहरा का पर्व भव्यता के साथ मनाया जाता था। गुम होती गंगा दशहरा की इस परंपरा को जीवंत परंपरा के रूप में स्थापित करने के लिए विगत 3 वर्षों से सरोवर धरोहर समिति ने बीड़ा उठाया है और नगर पालिका के सहयोग से यह भव्य आयोजन नगर के दुलही तालाब में किया जा रहा है। इस आयोजन में शहर सहित आसपास क्षेत्र के बड़ी संख्या में लोग पहुंचकर गंगा पूजन व आरती में शामिल होते है। मान्यता है कि भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान महादेव की जटाओं में विराजी माँ गंगा इसी दिन पृथ्वी पर अवतरित हुई थी और भगीरथ के पूर्वजों को मोक्ष प्रदान किया था। तभी से इस दिन को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है।  पंडित राजेश दुबे बबलू महाराज व उनकी टीम के द्वारा धार्मिक मंत्रोचारण के बीच गंगा पूजन व महाआरती का कार्यक्रम सम्पन्न कराया जाएगा। आयोजन के लिए दुलही तालाब के तट को नाम के अनुरूप रंगबिरंगी रोशनी से दुल्हन की तरह सजाया गया है।कार्यक्रम की तैयारियों को लेकर पार्षद वीरेंद्र बंसल, पुष्पलता गिरधारी साहू, सरोवर धरोहर समिति के अध्यक्ष चंचलेश श्रीवास्तव, सचिव डॉ रजनीश गर्ग, कन्हैया अग्रवाल सहित अन्य सदस्य लगे हुए है।

आंटा के करीब 11 सौ दियो से दीप दान

आयोजन के दौरान स्वच्छता का ध्यान रखते हुए इस बार तालाब परिसर में आंटे से निर्मित दिया जलाने का निर्णय लिया गया है। धार्मिकता के साथ दुलही तालाब रंगबिरंगी मछलियों के लिए भी जाना जाता है। यहां बड़े पैमाने पर मछलियां है जहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग मछलियों को दाना देकर अपनी धार्मिक परंपरा का निर्वहन भी करते है। तालाब परिसर की स्वच्छता व मछलियों को ध्यान में रखते हुए तालाब परिसर में आंटे का दिया जलाने का निर्णय आयोजन समिति के द्वारा लिया है।

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