0 वर्ष 2025 में रिश्वतखोरी का पांचवा मामला रिश्वत लेते एंटी करप्शन ब्यूरो के हत्थे चढ़ा भू अभिलेख शाखा का अनुरेखक

सूरजपुर। राजनीतिक सुधार और प्रशासन की पारदर्शिता पर किए जा रहे दावों के बीच, ज़िले सुरजपुर का भू-राजस्व कार्यालय फिर एक बार जिले की पुरानी व्याधि – रिश्वतखोरी – के घेरे में आ गया है। भू-अभिलेख शाखा के वरिष्ठ अनुलेखक को रंगे हाथों रिश्वत लेते एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने गिरफ्तार कर लिया। ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान करने हेतु खुले दफ्तरों में, फाइल की जटिलताओं के समाधान के नाम पर,कैसी-कैसी साजिशें बुनी जाती हैं।इस ताज़ा घटना ने एक बार फिर समाज के सामने दस्तक दी है। खबर के अनुसार, सुरजपुर ज़िले के ग्राम खैरगाह के निवासी सौरभ सिंह आडिल ने भू-राजस्व कार्यालय में आवेदन प्रस्तुत किया था कि परिवार की मिल्कियत में दर्ज ज़मीन का पारिवारिक बंटवारा जिसके लिए पुराने चौहद्दी नक्शा की आवश्यकता थी। कार्यालय के पदस्थ भू-अभिलेख शाखा के प्रभारी अनुलेखक प्रमोद नारायण यादव ने नक्शा काटने की एवज में 10,000 रुपये की घूस की मांग की। जब फरियादी ने रिश्वत देने में असमर्थता जताई, तो आरोपी ने सौदा 8,000 रुपये में करना चाहा और अंततः 1,400 रुपये एडवांस के रूप में मांग लिए गए।फरियादी की सतर्कता और प्रशासन की तत्परता रंग लाई। एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने जाल बिछाकर पूरी योजना के अनुसार पैसे देते समय आरोपी को रंगे हाथों गिरफ्तार किया। कुल 6,500 रुपये की रिश्वत लेते हुए अनुलेखक को हाथों-हाथ पकड़ लिया गया। इस कार्रवाई ने यह साबित कर दिया कि बदलाव की शुरुआत जन-जागरूकता और प्रशासनिक सतर्कता से ही संभव है। आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा रही है। सुरजपुर भू-राजस्व कार्यालय में हुई इस घटना ने प्रशासनिक तंत्र की चुनौती और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की अहमियत दोनों उजागर कर दी है। जब तक जिम्मेदार नागरिक और चौकस प्रशासन साथ नहीं आएंगे, व्यवस्था में सुधार संभव नहीं। यह घटना न केवल एक ‘खबर’ है, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी निभाने का आह्वान है, जिससे देश के लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूती मिले और आमजन को सच्चा न्याय मिले।
सवालों के घेरे में प्रशासनिक व्यवस्था
यह घटना महज एक अंश है, जो कार्यालयीन व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर संकेत करती है। जिस कार्यालय में न्याय और पारदर्शिता की उम्मीद लगाए बैठा आम नागरिक, वहां किस तरह उससे ‘रास्ता बनाने’ के नाम पर धन वसूले जाते हैं, यह उदाहरण है। दशकों से चले आ रहे इस त्रासद रवैये से तंग नागरिकों को न्याय केवल तभी मिल पाता है जब वे खुद जोखिम उठाकर छुपी हुई सच्चाई सामने लाते हैं। यही वजह है कि कई बार फ़ाइलें सालों लंबित रहती हैं और आवेदकों को छोटे-छोटे काम के लिए भी बार-बार दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं।
रिश्वतखोरी बड़ी चुनौती: सुधार की आवश्यकता
सूरजपुर जिले में वर्ष 2025 में अब तक रिश्वतखोरी के पाँच मामले सामने आ चुके हैं। हाल ही में भू-अभिलेख शाखा के अनुरेखक ने पैतृक भूमि का नक्शा देने के बदले रिश्वत मांगी, जिसे एंटी करप्शन ब्यूरो ने रंगे हाथ पकड़ा। इसके पूर्व एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने दो राजस्व पटवारी व तहसीलदार के बाबू सहित चार लोगों के विरुद्ध रिश्वतखोरी के मामले में कार्रवाई की थी ऐसे मामले प्रशासन के लिए गंभीर चेतावनी हैं, क्योंकि इससे जनता का विश्वास घटता है और योजनाओं की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
